मैं Delhi नाम की एक कॉलोनी में रहता हूं और ये भाभी सेक्स स्टोरी होली की मस्ती में पड़ोस की
भाभी की चुदाई की है. ये भाभी की सेक्स स्टोरी [Bhabhi ki Chudai ki Kahani}होली वाले दिन की है. मैं पड़ोस के भाई
भाभी के साथ होली खेलने गया तो भाई शराब पी रहे थे. भाई को रंग लगा कर मैं भाभी को
रंग लगाने लगा और …
मेरे घर के पड़ोस में एक जोड़ा रहता था, मैं उन्हें भैया भाभी कहकर बुलाता था.
मेरी उम्र 21 साल है …
जबकि मेरे पड़ोसी भैया भाभी की उम्र मुझसे कुछ साल ज्यादा है. sumit
भैया की उम्र 28 साल है और दिव्या भाभी की उम्र 25 साल है. भैया किसी आफिस में काम
करते थे. वो सुबह जाते, तो शाम को ही वापस आते थे.
भाभी हाई सोसाइटी की लड़कियों की तरह थीं. वो सब तरह के कपड़े पहनती थीं. मतलब वो
कभी जीन्स टॉप या सलवार सूट पहन लेतीं, तो कभी साड़ी ब्लाउज भी पहन लेती थीं.
लेकिन जब वे घर पर फ्री रहती थीं, तो अधिकतर लोअर टी-शर्ट पहनती थीं.
भाभी एकदम सेक्सी माल थीं, मैं उन्हें चोदना चाहता था. भाभी के बड़े बड़े चुचे, गदरायी हुई
कमर और बाहर निकलती हुई गांड मेरे लंड को अकड़ने पर मजबूर कर देती थी. उनकी
कातिल जवानी Delhi Escort की क्या कहूँ, हाय ऐसी मदमत जवानी थी कि पहली नजर में ही किसी भी
बुड्डे का लंड खड़ा कर दे.
उन्हीं दिनों होली का त्यौहार आया. होली के दिन भाभी ने बड़े गले का ब्लाउज़ और
जालीदार साड़ी पहनी थी. उसमें वो बहुत सेक्सी माल लग रही थीं.
सुबह 10 बजे में उनके घर गया, तो भैया सोफे पर बैठे दारू पी रहे थे. मैं उनके पास गया और
उन्हें हैप्पी होली बोल कर मैंने उनके गालों पर रंग लगा दिया. भैया ने भी मुझे गुलाल लगाया
और होली की बधाई दी.
On the day of Holi, the Neigh bour sister-in-law Kachchi of |Trending Bhabhi sex story
फिर मैंने भैया से भाभी का पूछा, तो उन्होंने नशे में लड़खड़ाती आवाज में आंख मारते हुए
बोला- तेरी भाभी किचन में हैं, जा जरा ढंग से पोत देना.
मैंने भी हंस कर बोला- ठीक है … मैं अभी भाभी को रंग लगा कर आता हूं.
मैं हाथ में रंग लेकर किचन की तरफ चल दिया. भाभी किचन में बर्तन जमा रही थीं.
मैं दबे पांव उनके पीछे गया और जाकर उनके पीछे चिपक गया. मेरा लंड उनकी गांड से
टकराने से बिल्कुल कड़क हो गया था, जो भाभी ने भी महसूस कर लिया था.
मैं ‘हैप्पी होली’ बोलकर उन्हें रंग लगाने लगा. इतने में उन्होंने मुझे धक्का दिया और बाहर को
भाग गईं. मैं भी भाभी के पीछे पीछे बाहर आ गया.
भाभी बोल रही थीं कि प्लीज मुझे रंग मत लगाओ … मुझे होली खेलना पसंद नहीं है.
पर मैंने बोला- भाभी मैं तो आज आपके साथ होली मना कर ही रहूंगा.
ये सुनकर भाभी फिर से भागने लगीं और मैं भी भाभी के पीछे भागने लगा.
इधर भैया दारू पीकर लगभग टुन्न ही हो गए थे और वहीं सोफे पर पसर कर सो गए थे.
भाभी हॉल में भाग रही थीं, फिर जैसे तैसे मैंने उन्हें पकड़ ही लिया. लेकिन भाभी हंसते हुए
मुझसे छूटने के लिए छटपटा रही थीं. इसी आपाधापी और हड़बड़ी में मेरा हाथ भाभी के
एक मम्मे पर चला गया. मौके का फायदा उठाते हुए मैंने भी भाभी के दूध को जोर से मसल
दिया, जिससे भाभी की आह निकल गयी. वो मेरी तरफ मस्त निगाहों से देखने लगीं.
मैंने भी धर पूछा- मजा आया?
भाभी मुस्कुरा दीं. वे मुझसे छूट कर फिर से भागने को हुईं, तो मैंने उनकी साड़ी का पल्लू
पकड़ लिया. फिर इसी छटपटाहट में भाभी की साड़ी खुल गयी और वो नीचे गिर गईं. अब
भाभी सिर्फ ब्लाउज़ ओर पेटीकोट में ही रह गयी थीं.
मैंने भाभी को पकड़ा, तो उन्होंने खुद को मुझसे छुड़ा लिया और वो सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में
ही अपने बेडरूम की तरफ भागने लगीं.
मैं भी उनके पीछे पीछे बेडरूम में चला गया. वे दरवाजा लगा ही रही थीं, लेकिन मैंने धक्के से
दरवाजा खोल दिया |
फिर कमरे में भी भाभी मुझसे बचने के लिए दौड़भाग कर रही थीं. लेकिन मैंने उन्हें पकड़ कर
बेड पर पटक ही दिया
अब मैं हवस से भर चुका था और मेरे सामने भाभी ब्लाउज़ और पेटीकोट में बेड पर चित पड़ी
हुई थीं. इस वक्त उनकी जवानी मुझे वासना के सागर में गोते लगाने को मजबूर कर रही थी.
मैं भाभी के पास गया और जब तक वो उठतीं, मैं उनके ऊपर चढ़ गया.
भाभी हंसते हुए बार बार बोले जा रही थीं- आदि नहीं करो … प्लीज़ रहने दो. रंग मत लगाओ.
लेकिन मैं कहां मानने वाला था. मैंने पहले तो अच्छे से भाभी के गालों पर रंग लगाया और
उसके बाद उनके हाथों पर अपने हाथ रगड़ते हुए हाथों में रंग मलने के साथ साथ उनके
मक्खन बदन को सहलाने का सुख लेने लगा. मेरा लंड एकदम तन चुका था और भाभी के
नीचे गड़ा जा रहा था.
अब तक भाभी ने भी अपने आपको ढीला छोड़ दिया था. लेकिन वो आने वाले हमले से
अनजान भी नहीं थीं.
मैंने भी मस्ती मस्ती में भाभी के ब्लाउज़ के ऊपर अपने हाथ रख दिए और अन्दर हाथ डाल
कर रंग लगाने के बहाने भाभी के बोबे दबाने लगा.
इससे भाभी को बहुत ग़ुस्सा आ गया, क्योंकि मुझे लगा कि ये मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर का
मामला बन गया था.
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भाभी ने मुझे तुरंत हटने के लिए कहा. लेकिन मैंने उनकी एक न सुनी और उनके होंठों पर
अपने हाथ रख दिए.
भाभी मुझे धक्का देते हुए कह रही थीं- यार समझा करो, तुम्हारे भैया हैं.
अब मैंने उनकी मन की इच्छा को समझ लिया और इस बार अपनी पकड़ मजबूत बना ली
थी … जिससे भाभी खुद को छुड़ा नहीं पाईं.
मैंने कहा- भैया, दारू के नशे में औंधे हो गए हैं … कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है.
भाभी ने हॉल में सोफे की तरफ नजर दौड़ाई तो देखा कि उधर भैया दारू के नशे में टुन होकर
सोए पड़े थे.
खींचते हुए निकाल दिया.
अब सिर्फ भाभी पेंटी में रह गई थीं और मैं अंडरवियर में था. मैं भाभी के पास गया और नीचे
आकर मैंने पहले तो पेंटी के ऊपर से ही भाभी की चूत पर अपना हाथ रखकर चूत सहलाई.
भाभी की चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. फिर मैंने भाभी की पेंटी निकाल दी.
क्या मक्खन चूत थी भाभी की … एकदम गुलाब की पंखुड़ियों की तरह मुलायम. एकदम
चिकनी और बिल्कुल साफ चूत देख कर मेरी बांछें खिल गईं. भाभी ने भी मुझे इशारा करते
हुए अपनी चुत पर हाथ फेरा. मैं समझ गया और भाभी की चुत पर टूट पड़ा.
मैंने भाभी की चूत को चाटना शुरू कर दिया. करीब 10 मिनट तक चूत चाटने से भाभी अपने
चरम पर आ गयी थीं. वो मेरा सर दबाए हुए अपनी गांड उठा कर चुत चुसाई का मजा ले रही
थीं.
कुछ ही पलों में भाभी ने एकदम से अकड़ते हुए आवाज की और वो गांड उठा कर मेरे मुँह में
ही झड़ गईं. मैंने भी सारा रस चाट लिया. भाभी की चूत के रस का अजीब सा स्वाद था. मुझे
मजा आ गया.
फिर मैं खड़ा हुआ और मैंने अपना अंडरवियर निकाल दिया. भाभी के सामने 8 इंच लंबा
और 3 इंच मोटा लंड सामने झटके मार रहा था.
भाभी मेरा लंड देख कर डर गईं और बोलीं- हाय राम … आदि कितना बड़ा लंड है तेरा, तेरे भैया
से दोगुना लम्बा और बड़ा मोटा है यार. ये तो मेरी चूत फाड़ ही डालेगा.
मैंने लंड हिलाते हुए कहा- आज तो तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा मेरी जानेमन.
मैंने भाभी को लंड चूसने का इशारा किया तो उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और धीरे धीरे
सहलाने लगीं. पहले तो उन्होंने मेरे लंड के टोपे को अपने मुँह में लिया और उस पर अपनी
जीभ फिराने लगीं.
मुझे भाबी के मुँह से अपना लंड चुसाने में बड़ा मजा आ रहा था.
कुछ ही देर में भाभी मेरा पूरा लंड अन्दर लेने की कोशिश करने लगी थीं. लेकिन पूरा लंड
अन्दर जा ही नहीं पा रहा था. Read More ……
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